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“अगर पूरी हो गईं उनकी चाहतें, तो जाने कैसी लगेगी यह दुनिया!”— मदन कश्यप❤️
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प्लास्टिक बैन के बावजूद दिल्ली में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही प्लास्टिक
17 साल से दिल्ली के कालकाजी में रह रहे 36 वर्षीय कल्पेश हर रोज़ सुबह उठकर सैर के लिए निकलते हैं। सैर से लौटते हुए वो रास्ते में रेड़ी से डाब (नारियल पानी) लेने के लिए रुकते हैं। जब रेड़ी वाले भईया उन्हें नारियल पॉलीथीन में देते हैं तो कल्पेश याद से प्लास्टिक स्ट्रॉ लेना नहीं भूलते। घर लौटते कल्पेश पास वाली दुकान से दूध और चीनी पॉलीथिन में लेते आते हैं। घर आकर वे ऑफ़िस के लिए तैयार होने में लग जाते हैं। ऑफ़िस के लिए डब्बा वो पॉलीथिन में पैक करते हैं ताकि सब्ज़ी से तेल निकलकर बैग में न फैल जाए। शाम को घर लौटते वक्त कल्पेश कुछ हरी सब्ज़ियां और साथ ही बच्चों के लिए उनकी पसंदीदा चीज़ें पैक कराते हैं, वह भी पॉलीथिन में जिसके एक इस्तेमाल के बाद वे इसे कूड़े में फेंक देंगे।.
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